राम वन गमन
पर्यटन परिपथ
शिवरीनारायण

राम नवमी
महोत्सव

दिनांक: 8, 9 और 10 अप्रैल, 2022

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः॥

पराक्रमी प्रभु श्री राम, दशरथ-पुत्र, सदैव बलशाली लक्ष्मण के साथ रहने वाले, रघुकुल की शान, कौशल्या
नंदन, ब्रह्मांड की सभी शक्तियों से संपन्न, एक पूर्ण पुरुष हैं।

- राम रक्षा स्त्रोत

छत्तीसगढ़ और राम

प्रभु श्री राम से छत्तीसगढ़ का गहरा सम्बंध है। ऐसा माना जाता है कि अपने वनवास के 14 में से 10 वर्ष प्रभु राम ने दण्डकारण्य (वर्तमान छत्तीसगढ़) के जंगलों में बिताए थे।

वनवास के दौरान राम, लक्षमण, सीता की छत्तीसगढ़ वासियों से संवाद की अनेक कहानियां बतलाई जाती हैं। प्रभु राम से प्रेरित अनेक गीत, कहानियां हैं, जिन्हें मौखिक रूप से सुनाया , बतलाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी इसकी जानकारी हो सके। प्रभु राम से जुड़ी प्रसिद्धि, कहानियों से पता चलता है कि वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ उत्साह मनाता है, जब युवराज राम ने मर्यादा पुरुषोत्तम होने के गुणों का परिचय दिया, जिससे पता चला कि वे एक आदर्श पुरुष व एक आदर्श राजा हैं।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ प्रभु राम का ननिहाल है, क्योंकि प्रभु राम की माँ, माता कौशल्या का जन्म रामायण के अनुसार छत्तीसगढ़ में हुआ था। रिश्ते व शिक्षा की समझ जो माता कौशल्या ने प्रभु राम को दी, उसकी सराहना आज पूरा देश करता है।

छत्तीसगढ़ अपने अंदर अनेक कहानियां, अनेक विशेषताएं संजोये रखा हुआ है। जो इसे विशेष बनाते हैं हर उस राम भक्त के लिए जो अपने जीवन में प्रभु राम से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों पर जाना, उन्हें समझना, उन्हें अनुभव करना चाहता है।

यह एक मौका है ननिहाल वासी होने के नाते छत्तीसगढ़ की जनता के लिये, यह बतलाने का कि प्रभु राम पर, उनकी विरासत पर पहला हक़, अधिकार उनका है। इसी हक़, अधिकार की बात करता है मौजूदा सरकार का महत्वपूर्ण नारा, "बात है अभिमान की, छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान की"।