इम्पैक्ट

दुनियाभर के पर्यटकों में धार्मिक पर्यटन का सबसे बड़ा स्थान है। आमतौर पर धार्मिक पर्यटक बड़े समूहों या विस्तृत परिवारिक समूहों में घूमते हैं, यही कारण है कि ये यात्रा वाले देश में बड़ी संख्या में आते हैं। दुनिया के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर हर साल लगभग 30 करोड़ से अधिक पर्यटक आते हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में लगभग 60 करोड यात्राएं सिर्फ तीर्थ-यात्रियों और आध्यात्मिक यात्राएं करने वाले लोगों द्वारा की जाती हैं। इसे इस तरह भी कहा जा सकता है कि धार्मिक विश्वास से प्रेरित यात्राएं पूरी दुनिया में पर्यटन के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
भारत में भी धार्मिक पर्यटन में लोगों की रुचि लगातार बढ़ रही है। हाल के वर्षों में ऐसी यात्राओं पर औसत खर्च दोगुने से भी अधिक हुआ है। यात्रियों के एक बड़े हिस्से ने स्वर्ण मंदिर, तिरुपति, अमरनाथ, अजमेर शरीफ और बनारस जैसे धार्मिक स्थलों की यात्राएं की हैं।
भगवान राम के साथ छत्तीसगढ़ का मजबूत रिश्ता है क्योंकि यह उनका ननिहाल (माता कौशल्या की जन्मभूमि) भी है. 14 साल के अपने वनवास में से 10 साल प्रभु श्री राम ने छत्तीसगढ़ के जंगलों में बिताए थे. यही वजह है कि यह राज्य भगवान राम के भक्तों एवं धार्मिक यात्रियों को ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ’ के रूप में विभिन्न स्थलों के भ्रमण हेतु आमंत्रित करने के लिए सभी क्षमताओं से परिपूर्ण है.
इस साल रामनवमी के पावन अवसर पर आयोजित होने वाला वार्षिक महोत्सव, छत्तीसगढ़ और भगवान राम के संबंधों को अवश्य ही अधिक दृढ़ता प्रदान करेगा. साथ ही यह सभी श्रद्धालूओं के लिए एक पावन अवसर भी है कि वे इस महोत्सव में भाग लेने के लिए छत्तीसगढ़ आएं और माता कौशल्या के मंदिर में अपनी पूजा अर्चना संपन्न करें.
इस महोत्सव के जरिए हम छत्तीसगढ़ को एक वार्षिक तीर्थस्थल के रूप में प्रतिष्ठित करने की आशा भी करते हैं, जहां भगवान राम के अनुयायी हर वर्ष इस महोत्सव में शामिल हो सकते हैं और साथ ही राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विभिन्न स्थलों के भ्रमण के जरिए श्री राम की अनुभूति को महसूस कर सकते हैं.

लक्ष्य

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रभु श्री राम को आदर्श एवं न्यायप्रिय राजा मानते थे। यह वार्षिक महोत्सव भगवान श्री राम के इन्हीं आदर्श मूल्यों- सरलता, नम्रता और सभी की चिंता करने वाले – से जुड़ने का गर्वित अवसर है। वनवास के समय (वर्तमान में) छत्तीसगढ़ के जंगलों में रहते हुए प्रभु श्री राम ने एक आदर्श और संवेदनशील नेता के गुणों का प्रदर्शन किया था। घने जंगलों में बिना किसी राजसी ठाठ के, वे अपने अनुगामियों के साथ उनकी तरह ही रहते थे। इसी तरह छत्तीसगढ़ भगवान राम की कर्मभूमि बन गया।
वार्षिक महोत्सव की विषय वस्तु का उद्देश्य प्रभु श्री राम के संवेदनशील और बुद्धिमान छवि को लोगों के सामने लाना है, जिनके दार्शनिक मूल्य आज भी छत्तीसगढ़ के वर्तमान नेतृत्व को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

इसके साथ ही यह वार्षिक महोत्सव, छत्तीसगढ़ की जनता के लिए एक पावन अवसर है प्रभु श्रीराम की विरासत को संभालने और सहेजने के लिए, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ की सरकार का आदर्श-वाक्य है –

“बात है अभिमान की, छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान की”।

यह महोत्सव अपने आप में अद्वितीय महोत्सव होगा जहाँ छत्तीसगढ़ की जनता मिलकर भगवान राम के जन्म का उत्सव मनाएगी। साथ ही देश एवं विदेश से श्रद्धालुओं को भी उत्सव में शामिल होने का निमंत्रण देगी।

रामनवमी, संपूर्ण देश में मनायी जाती है, लेकिन आमतौर पर इसे घरों के प्रांगन या मंदिरों में मनाया जाता है। ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि यह त्यौहार एक समुदायिक उत्सव की तरह प्रदेश के लोगों द्वारा मिलकर एकसाथ मनाया जाएगा।

हमारी योजना है कि हम रामनवमी के पावन पर्व को एक सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में बदल सकें जिससे अलग-अलग तरह के सभी समुदायों के बीच एकजुटता की भावना का विकास किया जा सकता है।